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Sura 10
Aya 44
44
إِنَّ اللَّهَ لا يَظلِمُ النّاسَ شَيئًا وَلٰكِنَّ النّاسَ أَنفُسَهُم يَظلِمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ख़ुदा तो हरगिज़ लोगों पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं करता मगर लोग खुद अपने ऊपर (अपनी करतूत से) जुल्म किया करते है