98وَمِنَ الأَعرابِ مَن يَتَّخِذُ ما يُنفِقُ مَغرَمًا وَيَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوائِرَ ۚ عَلَيهِم دائِرَةُ السَّوءِ ۗ وَاللَّهُ سَميعٌ عَليمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर कुछ गॅवार देहाती (ऐसे भी हैं कि जो कुछ ख़ुदा की) राह में खर्च करते हैं उसे तावान (जुर्माना) समझते हैं और तुम्हारे हक़ में (ज़माने की) गर्दिशों के मुन्तज़िर (इन्तेज़ार में) हैं उन्हीं पर (ज़माने की) बुरी गर्दिश पड़े और ख़ुदा तो सब कुछ सुनता जानता है