126أَوَلا يَرَونَ أَنَّهُم يُفتَنونَ في كُلِّ عامٍ مَرَّةً أَو مَرَّتَينِ ثُمَّ لا يَتوبونَ وَلا هُم يَذَّكَّرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीक्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं