33وَإِذا مَسَّ النّاسَ ضُرٌّ دَعَوا رَبَّهُم مُنيبينَ إِلَيهِ ثُمَّ إِذا أَذاقَهُم مِنهُ رَحمَةً إِذا فَريقٌ مِنهُم بِرَبِّهِم يُشرِكونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर जब लोगों को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वे अपने रब को, उसकी ओर रुजू (प्रवृत) होकर पुकारते है। फिर जब वह उन्हें अपनी दयालुता का रसास्वादन करा देता है, तो क्या देखते है कि उनमें से कुछ लोग अपने रब का साझी ठहराने लगे;