32مِنَ الَّذينَ فَرَّقوا دينَهُم وَكانوا شِيَعًا ۖ كُلُّ حِزبٍ بِما لَدَيهِم فَرِحونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउन लोगों में से जिन्होंने अपनी दीन (धर्म) को टुकड़े-टुकड़े कर डाला और गिरोहों में बँट गए। हर गिरोह के पास जो कुछ है, उसी में मग्न है