31۞ مُنيبينَ إِلَيهِ وَاتَّقوهُ وَأَقيمُوا الصَّلاةَ وَلا تَكونوا مِنَ المُشرِكينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसकी ओर रुजू करनेवाले (प्रवृत्त होनेवाले) रहो। और उसका डर रखो और नमाज़ का आयोजन करो और (अल्लाह का) साझी ठहरानेवालों में से न होना,