27وَاتلُ ما أوحِيَ إِلَيكَ مِن كِتابِ رَبِّكَ ۖ لا مُبَدِّلَ لِكَلِماتِهِ وَلَن تَجِدَ مِن دونِهِ مُلتَحَدًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअपने रब की क़िताब, जो कुछ तुम्हारी ओर प्रकाशना (वह्यस) हुई, पढ़ो। कोई नहीं जो उनके बोलो को बदलनेवाला हो और न तुम उससे हटकर क शरण लेने की जगह पाओगे