1سُبحانَ الَّذي أَسرىٰ بِعَبدِهِ لَيلًا مِنَ المَسجِدِ الحَرامِ إِلَى المَسجِدِ الأَقصَى الَّذي بارَكنا حَولَهُ لِنُرِيَهُ مِن آياتِنا ۚ إِنَّهُ هُوَ السَّميعُ البَصيرُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या ही महिमावान है वह जो रातों-रात अपने बन्दे (मुहम्मद) को प्रतिष्ठित मस्जिद (काबा) से दूरवर्ती मस्जिद (अक़्सा) तक ले गया, जिसके चतुर्दिक को हमने बरकत दी, ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियाँ दिखाएँ। निस्संदेह वही सब कुछ सुनता, देखता है