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Sura 18
Aya 28
28
وَاصبِر نَفسَكَ مَعَ الَّذينَ يَدعونَ رَبَّهُم بِالغَداةِ وَالعَشِيِّ يُريدونَ وَجهَهُ ۖ وَلا تَعدُ عَيناكَ عَنهُم تُريدُ زينَةَ الحَياةِ الدُّنيا ۖ وَلا تُطِع مَن أَغفَلنا قَلبَهُ عَن ذِكرِنا وَاتَّبَعَ هَواهُ وَكانَ أَمرُهُ فُرُطًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अपने आपको उन लोगों के साथ थाम रखो, जो प्रातःकाल और सायंकाल अपने रब को उसकी प्रसन्नता चाहते हुए पुकारते है और सांसारिक जीवन की शोभा की चाह में तुम्हारी आँखें उनसे न फिरें। और ऐसे व्यक्ति की बात न मानना जिसके दिल को हमने अपनी याद से ग़ाफ़िल पाया है और वह अपनी इच्छा और वासना के पीछे लगा हुआ है और उसका मामला हद से आगे बढ़ गया है