29وَلا تَجعَل يَدَكَ مَغلولَةً إِلىٰ عُنُقِكَ وَلا تَبسُطها كُلَّ البَسطِ فَتَقعُدَ مَلومًا مَحسورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर अपना हाथ न तो अपनी गरदन से बाँधे रखो और न उसे बिलकुल खुला छोड़ दो कि निन्दित और असहाय होकर बैठ जाओ