28وَإِمّا تُعرِضَنَّ عَنهُمُ ابتِغاءَ رَحمَةٍ مِن رَبِّكَ تَرجوها فَقُل لَهُم قَولًا مَيسورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकिन्तु यदि तुम्हें अपने रब की दयालुता की खोज में, जिसकी तुम आशा रखते हो, उनसे कतराना भी पड़े, तो इस दशा में तुम उनसें नर्म बात करो