30۞ وَقالَ نِسوَةٌ فِي المَدينَةِ امرَأَتُ العَزيزِ تُراوِدُ فَتاها عَن نَفسِهِ ۖ قَد شَغَفَها حُبًّا ۖ إِنّا لَنَراها في ضَلالٍ مُبينٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर शहर (मिस्र) में औरतें चर्चा करने लगी कि अज़ीज़ (मिस्र) की बीबी अपने ग़ुलाम से (नाजायज़) मतलब हासिल करने की आरज़ू मन्द है बेशक गुलाम ने उसे उलफत में लुभाया है हम लोग तो यक़ीनन उसे सरीही ग़लती में मुब्तिला देखते हैं