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Sura 11
Aya 9
9
وَلَئِن أَذَقنَا الإِنسانَ مِنّا رَحمَةً ثُمَّ نَزَعناها مِنهُ إِنَّهُ لَيَئوسٌ كَفورٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाएं फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाशुक्रा हो जाता है