10وَلَئِن أَذَقناهُ نَعماءَ بَعدَ ضَرّاءَ مَسَّتهُ لَيَقولَنَّ ذَهَبَ السَّيِّئَاتُ عَنّي ۚ إِنَّهُ لَفَرِحٌ فَخورٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(और हमारी शिकायत करने लगता है) और अगर हम तकलीफ के बाद जो उसे पहुँचती थी राहत व आराम का जाएक़ा चखाए तो ज़रुर कहने लगता है कि अब तो सब सख्तियाँ मुझसे दफा हो गई इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा (जल्दी खुश) होने येख़ी बाज़ है