87قالوا يا شُعَيبُ أَصَلاتُكَ تَأمُرُكَ أَن نَترُكَ ما يَعبُدُ آباؤُنا أَو أَن نَفعَلَ في أَموالِنا ما نَشاءُ ۖ إِنَّكَ لَأَنتَ الحَليمُ الرَّشيدُफ़ारूक़ ख़ान & नदवीवह लोग कहने लगे ऐ शुएब क्या तुम्हारी नमाज़ (जिसे तुम पढ़ा करते हो) तुम्हें ये सिखाती है कि जिन (बुतों) की परसतिश हमारे बाप दादा करते आए उन्हें हम छोड़ बैठें या हम अपने मालों में जो कुछ चाहे कर बैठें तुम ही तो बस एक बुर्दबार और समझदार (रह गए) हो