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Sura 11
Aya 29
29
وَيا قَومِ لا أَسأَلُكُم عَلَيهِ مالًا ۖ إِن أَجرِيَ إِلّا عَلَى اللَّهِ ۚ وَما أَنا بِطارِدِ الَّذينَ آمَنوا ۚ إِنَّهُم مُلاقو رَبِّهِم وَلٰكِنّي أَراكُم قَومًا تَجهَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और तुम हो कि उसको नापसन्द किए जाते हो और ऐ मेरी क़ौम मैं तो तुमसे इसके सिले में कुछ माल का तालिब नहीं मेरी मज़दूरी तो सिर्फ ख़ुदा के ज़िम्मे है और मै तो तुम्हारे कहने से उन लोगों को जो ईमान ला चुके हैं निकाल नहीं सकता (क्योंकि) ये लोग भी ज़रुर अपने परवरदिगार के हुज़ूर में हाज़िर होगें मगर मै तो देखता हूँ कि कुछ तुम ही लोग (नाहक़) जिहालत करते हो