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Sura 11
Aya 28
28
قالَ يا قَومِ أَرَأَيتُم إِن كُنتُ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبّي وَآتاني رَحمَةً مِن عِندِهِ فَعُمِّيَت عَلَيكُم أَنُلزِمُكُموها وَأَنتُم لَها كارِهونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(नूह ने) कहा ऐ मेरी क़ौम क्या तुमने ये समझा है कि अगर मैं अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूँ और उसने अपनी सरकार से रहमत (नुबूवत) अता फरमाई और वह तुम्हें सुझाई नहीं देती तो क्या मैं उसको (ज़बरदस्ती) तुम्हारे गले मंढ़ सकता हूँ