30وَيا قَومِ مَن يَنصُرُني مِنَ اللَّهِ إِن طَرَدتُهُم ۚ أَفَلا تَذَكَّرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मेरी क़ौम अगर मै इन (बेचारे ग़रीब) (ईमानदारों) को निकाल दूँ तो ख़ुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) मेरी मदद कौन करेगा तो क्या तुम इतना भी ग़ौर नहीं करते