16قُل لَو شاءَ اللَّهُ ما تَلَوتُهُ عَلَيكُم وَلا أَدراكُم بِهِ ۖ فَقَد لَبِثتُ فيكُم عُمُرًا مِن قَبلِهِ ۚ أَفَلا تَعقِلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकह दो, "यदि अल्लाह चाहता तो मैं तुम्हें यह पढ़कर न सुनाता और न वह तुम्हें इससे अवगत कराता। आख़िर इससे पहले मैं तुम्हारे बीच जीवन की पूरी अवधि व्यतीत कर चुका हूँ। फिर क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?"