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Sura 7
Aya 100
100
أَوَلَم يَهدِ لِلَّذينَ يَرِثونَ الأَرضَ مِن بَعدِ أَهلِها أَن لَو نَشاءُ أَصَبناهُم بِذُنوبِهِم ۚ وَنَطبَعُ عَلىٰ قُلوبِهِم فَهُم لا يَسمَعونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

क्या जो लोग अहले ज़मीन के बाद ज़मीन के वारिस (व मालिक) होते हैं उन्हें ये मालूम नहीं कि अगर हम चाहते तो उनके गुनाहों की बदौलत उनको मुसीबत में फँसा देते (मगर ये लोग ऐसे नासमझ हैं कि गोया) उनके दिलों पर हम ख़ुद (मोहर कर देते हैं कि ये लोग कुछ सुनते ही नहीं