يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا إِذا قُمتُم إِلَى الصَّلاةِ فَاغسِلوا وُجوهَكُم وَأَيدِيَكُم إِلَى المَرافِقِ وَامسَحوا بِرُءوسِكُم وَأَرجُلَكُم إِلَى الكَعبَينِ ۚ وَإِن كُنتُم جُنُبًا فَاطَّهَّروا ۚ وَإِن كُنتُم مَرضىٰ أَو عَلىٰ سَفَرٍ أَو جاءَ أَحَدٌ مِنكُم مِنَ الغائِطِ أَو لامَستُمُ النِّساءَ فَلَم تَجِدوا ماءً فَتَيَمَّموا صَعيدًا طَيِّبًا فَامسَحوا بِوُجوهِكُم وَأَيديكُم مِنهُ ۚ ما يُريدُ اللَّهُ لِيَجعَلَ عَلَيكُم مِن حَرَجٍ وَلٰكِن يُريدُ لِيُطَهِّرَكُم وَلِيُتِمَّ نِعمَتَهُ عَلَيكُم لَعَلَّكُم تَشكُرونَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ऐ ईमानदारों जब तुम नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सरों का और टखनों तक पॉवों का मसाह कर लिया करो और अगर तुम हालते जनाबत में हो तो तुम तहारत (ग़ुस्ल) कर लो (हॉ) और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से किसी को पैख़ाना निकल आए या औरतों से हमबिस्तरी की हो और तुमको पानी न मिल सके तो पाक ख़ाक से तैमूम कर लो यानि (दोनों हाथ मारकर) उससे अपने मुंह और अपने हाथों का मसा कर लो (देखो तो ख़ुदा ने कैसी आसानी कर दी) ख़ुदा तो ये चाहता ही नहीं कि तुम पर किसी तरह की तंगी करे बल्कि वो ये चाहता है कि पाक व पाकीज़ा कर दे और तुमपर अपनी नेअमते पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ