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Sura 46
Aya 26
26
وَلَقَد مَكَّنّاهُم فيما إِن مَكَّنّاكُم فيهِ وَجَعَلنا لَهُم سَمعًا وَأَبصارًا وَأَفئِدَةً فَما أَغنىٰ عَنهُم سَمعُهُم وَلا أَبصارُهُم وَلا أَفئِدَتُهُم مِن شَيءٍ إِذ كانوا يَجحَدونَ بِآياتِ اللَّهِ وَحاقَ بِهِم ما كانوا بِهِ يَستَهزِئونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हमने उनको ऐसे कामों में मक़दूर दिये थे जिनमें तुम्हें (कुछ भी) मक़दूर नहीं दिया और उन्हें कान और ऑंख और दिल (सब कुछ दिए थे) तो चूँकि वह लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करने लगे तो न उनके कान ही कुछ काम आए और न उनकी ऑंखें और न उनके दिल और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे उसने उनको हर तरफ से घेर लिया