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Sura 3
Aya 37
37
فَتَقَبَّلَها رَبُّها بِقَبولٍ حَسَنٍ وَأَنبَتَها نَباتًا حَسَنًا وَكَفَّلَها زَكَرِيّا ۖ كُلَّما دَخَلَ عَلَيها زَكَرِيَّا المِحرابَ وَجَدَ عِندَها رِزقًا ۖ قالَ يا مَريَمُ أَنّىٰ لَكِ هٰذا ۖ قالَت هُوَ مِن عِندِ اللَّهِ ۖ إِنَّ اللَّهَ يَرزُقُ مَن يَشاءُ بِغَيرِ حِسابٍ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः उसके रब ने उसका अच्छी स्वीकृति के साथ स्वागत किया और उत्तम रूप में उसे परवान चढ़ाया; और ज़करिया को उसका संरक्षक बनाया। जब कभी ज़करिया उसके पास मेहराब (इबादतगाह) में जाता, तो उसके पास कुछ रोज़ी पाता। उसने कहा, "ऐ मरयम! ये चीज़े तुझे कहाँ से मिलती है?" उसने कहा, "यह अल्लाह के पास से है।" निस्संदेह अल्लाह जिसे चाहता है, बेहिसाब देता है