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Sura 25
Aya 58
58
وَتَوَكَّل عَلَى الحَيِّ الَّذي لا يَموتُ وَسَبِّح بِحَمدِهِ ۚ وَكَفىٰ بِهِ بِذُنوبِ عِبادِهِ خَبيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) तुम उस (ख़ुदा) पर भरोसा रखो जो ऐसा ज़िन्दा है कि कभी नहीं मरेगा और उसकी हम्द व सना की तस्बीह पढ़ो और वह अपने बन्दों के गुनाहों की वाक़िफ कारी में काफी है (वह ख़ुद समझ लेगा)