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Sura 2
Aya 158
158
۞ إِنَّ الصَّفا وَالمَروَةَ مِن شَعائِرِ اللَّهِ ۖ فَمَن حَجَّ البَيتَ أَوِ اعتَمَرَ فَلا جُناحَ عَلَيهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِما ۚ وَمَن تَطَوَّعَ خَيرًا فَإِنَّ اللَّهَ شاكِرٌ عَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

बेशक (कोहे) सफ़ा और (कोह) मरवा ख़ुदा की निशानियों में से हैं पस जो शख्स ख़ानए काबा का हज या उमरा करे उस पर उन दोनो के (दरमियान) तवाफ़ (आमद ओ रफ्त) करने में कुछ गुनाह नहीं (बल्कि सवाब है) और जो शख्स खुश खुश नेक काम करे तो फिर ख़ुदा भी क़दरदाँ (और) वाक़िफ़कार है