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Sura 10
Aya 36
36
وَما يَتَّبِعُ أَكثَرُهُم إِلّا ظَنًّا ۚ إِنَّ الظَّنَّ لا يُغني مِنَ الحَقِّ شَيئًا ۚ إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ بِما يَفعَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तुम कैसे हुक्म लगाते हो और उनमें के अक्सर तो बस अपने गुमान पर चलते हैं (हालॉकि) गुमान यक़ीन के मुक़ाबले में हरगिज़ कुछ भी काम नहीं आ सकता बेशक वह लोग जो कुछ (भी) कर रहे हैं खुदा उसे खूब जानता है