85وَلا تُعجِبكَ أَموالُهُم وَأَولادُهُم ۚ إِنَّما يُريدُ اللَّهُ أَن يُعَذِّبَهُم بِها فِي الدُّنيا وَتَزهَقَ أَنفُسُهُم وَهُم كافِرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर उनके माल और उनकी औलाद (की कसरत) तुम्हें ताज्जुब (हैरत) में न डाले (क्योकि) ख़ुदा तो बस ये चाहता है कि दुनिया में भी उनके माल और औलाद की बदौलत उनको अज़ाब में मुब्तिला करे और उनकी जान निकालने लगे तो उस वक्त भी ये काफ़िर (के काफ़िर ही) रहें