يَحلِفونَ بِاللَّهِ ما قالوا وَلَقَد قالوا كَلِمَةَ الكُفرِ وَكَفَروا بَعدَ إِسلامِهِم وَهَمّوا بِما لَم يَنالوا ۚ وَما نَقَموا إِلّا أَن أَغناهُمُ اللَّهُ وَرَسولُهُ مِن فَضلِهِ ۚ فَإِن يَتوبوا يَكُ خَيرًا لَهُم ۖ وَإِن يَتَوَلَّوا يُعَذِّبهُمُ اللَّهُ عَذابًا أَليمًا فِي الدُّنيا وَالآخِرَةِ ۚ وَما لَهُم فِي الأَرضِ مِن وَلِيٍّ وَلا نَصيرٍ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि (कोई बुरी बात) नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने (मुसलमानों से) सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार