124وَإِذا ما أُنزِلَت سورَةٌ فَمِنهُم مَن يَقولُ أَيُّكُم زادَتهُ هٰذِهِ إيمانًا ۚ فَأَمَّا الَّذينَ آمَنوا فَزادَتهُم إيمانًا وَهُم يَستَبشِرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उन मुनाफिक़ीन में से (एक दूसरे से) पूछता है कि भला इस सूरे ने तुममें से किसी का ईमान बढ़ा दिया तो जो लोग ईमान ला चुके हैं उनका तो इस सूरे ने ईमान बढ़ा दिया और वह वहां उसकी ख़ुशियाँ मनाते है