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Sura 9
Aya 111
111
۞ إِنَّ اللَّهَ اشتَرىٰ مِنَ المُؤمِنينَ أَنفُسَهُم وَأَموالَهُم بِأَنَّ لَهُمُ الجَنَّةَ ۚ يُقاتِلونَ في سَبيلِ اللَّهِ فَيَقتُلونَ وَيُقتَلونَ ۖ وَعدًا عَلَيهِ حَقًّا فِي التَّوراةِ وَالإِنجيلِ وَالقُرآنِ ۚ وَمَن أَوفىٰ بِعَهدِهِ مِنَ اللَّهِ ۚ فَاستَبشِروا بِبَيعِكُمُ الَّذي بايَعتُم بِهِ ۚ وَذٰلِكَ هُوَ الفَوزُ العَظيمُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इसमें तो शक़ ही नहीं कि ख़ुदा ने मोमिनीन से उनकी जानें और उनके माल इस बात पर ख़रीद लिए हैं कि (उनकी क़ीमत) उनके लिए बेहश्त है (इसी वजह से) ये लोग ख़ुदा की राह में लड़ते हैं तो (कुफ्फ़ार को) मारते हैं और ख़ुद (भी) मारे जाते हैं (ये) पक्का वायदा है (जिसका पूरा करना) ख़ुदा पर लाज़िम है और ऐसा पक्का है कि तौरैत और इन्जील और क़ुरान (सब) में (लिखा हुआ है) और अपने एहद का पूरा करने वाला ख़ुदा से बढ़कर कौन है तुम तो अपनी ख़रीद फरोख्त से जो तुमने ख़ुदा से की है खुशियाँ मनाओ यही तो बड़ी कामयाबी है