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Sura 65
Aya 6
6
أَسكِنوهُنَّ مِن حَيثُ سَكَنتُم مِن وُجدِكُم وَلا تُضارّوهُنَّ لِتُضَيِّقوا عَلَيهِنَّ ۚ وَإِن كُنَّ أُولاتِ حَملٍ فَأَنفِقوا عَلَيهِنَّ حَتّىٰ يَضَعنَ حَملَهُنَّ ۚ فَإِن أَرضَعنَ لَكُم فَآتوهُنَّ أُجورَهُنَّ ۖ وَأتَمِروا بَينَكُم بِمَعروفٍ ۖ وَإِن تَعاسَرتُم فَسَتُرضِعُ لَهُ أُخرىٰ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

मुतलक़ा औरतों को (इद्दे तक) अपने मक़दूर मुताबिक दे रखो जहाँ तुम ख़ुद रहते हो और उनको तंग करने के लिए उनको तकलीफ न पहुँचाओ और अगर वह हामेला हो तो बच्चा जनने तक उनका खर्च देते रहो फिर (जनने के बाद) अगर वह बच्चे को तुम्हारी ख़ातिर दूध पिलाए तो उन्हें उनकी (मुनासिब) उजरत दे दो और बाहम सलाहियत से दस्तूर के मुताबिक बात चीत करो और अगर तुम बाहम कश म कश करो तो बच्चे को उसके (बाप की) ख़ातिर से कोई और औरत दूध पिला देगी