52أَم أَنا خَيرٌ مِن هٰذَا الَّذي هُوَ مَهينٌ وَلا يَكادُ يُبينُफ़ारूक़ ख़ान & नदवीया (सूझता है कि) मैं इस शख़्श (मूसा) से जो एक ज़लील आदमी है और (हकले पन की वजह से) साफ़ गुफ्तगू भी नहीं कर सकता