51وَنادىٰ فِرعَونُ في قَومِهِ قالَ يا قَومِ أَلَيسَ لي مُلكُ مِصرَ وَهٰذِهِ الأَنهارُ تَجري مِن تَحتي ۖ أَفَلا تُبصِرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर फिरऔन ने अपने लोगों में पुकार कर कहा ऐ मेरी क़ौम क्या (ये) मुल्क मिस्र हमारा नहीं और (क्या) ये नहरें जो हमारे (शाही महल के) नीचे बह रही हैं (हमारी नहीं) तो क्या तुमको इतना भी नहीं सूझता