34وَلِبُيوتِهِم أَبوابًا وَسُرُرًا عَلَيها يَتَّكِئونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर उनके घरों के दरवाज़े भी और वे तख़्त भी जिनपर वे टेक लगाते