33وَلَولا أَن يَكونَ النّاسُ أُمَّةً واحِدَةً لَجَعَلنا لِمَن يَكفُرُ بِالرَّحمٰنِ لِبُيوتِهِم سُقُفًا مِن فِضَّةٍ وَمَعارِجَ عَلَيها يَظهَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि इस बात की सम्भावना न होती कि सब लोग एक ही समुदाय (अधर्मी) हो जाएँगे, तो जो लोग रहमान के साथ कुफ़्र करते है उनके लिए हम उनके घरों की छतें चाँदी की कर देते है और सीढ़ियाँ भी जिनपर वे चढ़ते।