43لا جَرَمَ أَنَّما تَدعونَني إِلَيهِ لَيسَ لَهُ دَعوَةٌ فِي الدُّنيا وَلا فِي الآخِرَةِ وَأَنَّ مَرَدَّنا إِلَى اللَّهِ وَأَنَّ المُسرِفينَ هُم أَصحابُ النّارِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदनिस्संदेह तुम मुझे जिसकी ओर बुलाते हो उसके लिए न संसार में आमंत्रण है और न आख़िरत (परलोक) में और यह की हमें लौटना भी अल्लाह ही की ओर है और यह कि जो मर्यादाही है, वही आग (में पड़नेवाले) वाले है