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Sura 39
Aya 29
29
ضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا رَجُلًا فيهِ شُرَكاءُ مُتَشاكِسونَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِرَجُلٍ هَل يَستَوِيانِ مَثَلًا ۚ الحَمدُ لِلَّهِ ۚ بَل أَكثَرُهُم لا يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह एक मिसाल पेश करता है कि एक व्यक्ति है, जिसके मालिक होने में कई क्यक्ति साक्षी है, आपस में खींचातानी करनेवाले, और एक क्यक्ति वह है जो पूरा का पूरा एक ही व्यक्ति का है। क्या दोनों का हाल एक जैसा होगा? सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, किन्तु उनमें से अधिकांश लोग नहीं जानते