66وَلَو نَشاءُ لَطَمَسنا عَلىٰ أَعيُنِهِم فَاستَبَقُوا الصِّراطَ فَأَنّىٰ يُبصِرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि हम चाहें तो उनकी आँखें मेट दें क्योंकि वे (अपने रूढ़) मार्ग की और लपके हुए है। फिर उन्हें सुझाई कहाँ से देगा?