34وَجَعَلنا فيها جَنّاتٍ مِن نَخيلٍ وَأَعنابٍ وَفَجَّرنا فيها مِنَ العُيونِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर हमने उसमें खजूरों और अंगूरों के बाग लगाए और उसमें स्रोत प्रवाहित किए;