35لِيَأكُلوا مِن ثَمَرِهِ وَما عَمِلَتهُ أَيديهِم ۖ أَفَلا يَشكُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदताकि वे उसके फल खाएँ - हालाँकि यह सब कुछ उनके हाथों का बनाया हुआ नहीं है। - तो क्या वे आभार नहीं प्रकट करते?