50قُل إِن ضَلَلتُ فَإِنَّما أَضِلُّ عَلىٰ نَفسي ۖ وَإِنِ اهتَدَيتُ فَبِما يوحي إِلَيَّ رَبّي ۚ إِنَّهُ سَميعٌ قَريبٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ रसूल) तुम ये भी कह दो कि अगर मैं गुमराह हो गया हूँ तो अपनी ही जान पर मेरी गुमराही (का वबाल) है और अगर मैं राहे रास्त पर हूँ तो इस ''वही'' के तुफ़ैल से जो मेरा परवरदिगार मेरी तरफ़ भेजता है बेशक वह सुनने वाला (और बहुत) क़रीब है