52فَإِنَّكَ لا تُسمِعُ المَوتىٰ وَلا تُسمِعُ الصُّمَّ الدُّعاءَ إِذا وَلَّوا مُدبِرينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ फेरे चले जो रहे हों