128لَيسَ لَكَ مِنَ الأَمرِ شَيءٌ أَو يَتوبَ عَلَيهِم أَو يُعَذِّبَهُم فَإِنَّهُم ظالِمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतुम्हें इस मामले में कोई अधिकार नहीं - चाहे वह उसकी तौबा क़बूल करे या उन्हें यातना दे, क्योंकि वे अत्याचारी है