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Sura 28
Aya 57
57
وَقالوا إِن نَتَّبِعِ الهُدىٰ مَعَكَ نُتَخَطَّف مِن أَرضِنا ۚ أَوَلَم نُمَكِّن لَهُم حَرَمًا آمِنًا يُجبىٰ إِلَيهِ ثَمَراتُ كُلِّ شَيءٍ رِزقًا مِن لَدُنّا وَلٰكِنَّ أَكثَرَهُم لا يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) कुफ्फ़ार (मक्का) तुमसे कहते हैं कि अगर हम तुम्हारे साथ दीन हक़ की पैरवी करें तो हम अपने मुल्क़ से उचक लिए जाएँ (ये क्या बकते है) क्या हमने उन्हें हरम (मक्का) में जहाँ हर तरह का अमन है जगह नहीं दी वहाँ हर किस्म के फल रोज़ी के वास्ते हमारी बारगाह से खिंचे चले जाते हैं मगर बहुतेरे लोग नहीं जाते