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Sura 28
Aya 58
58
وَكَم أَهلَكنا مِن قَريَةٍ بَطِرَت مَعيشَتَها ۖ فَتِلكَ مَساكِنُهُم لَم تُسكَن مِن بَعدِهِم إِلّا قَليلًا ۖ وَكُنّا نَحنُ الوارِثينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हमने तो बहुतेरी बस्तियाँ बरबाद कर दी जो अपनी मइशत (रोजी) में बहुत इतराहट से (ज़िन्दगी) बसर किया करती थीं-(तो देखो) ये उन ही के (उजड़े हुए) घर हैं जो उनके बाद फिर आबाद नहीं हुए मगर बहुत कम और (आख़िर) हम ही उनके (माल व असबाब के) वारिस हुए