32قالَت يا أَيُّهَا المَلَأُ أَفتوني في أَمري ما كُنتُ قاطِعَةً أَمرًا حَتّىٰ تَشهَدونِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसने कहा, "ऐ सरदारों! मेरे मामलें में मुझे परामर्श दो। मैं किसी मामले का फ़ैसला नहीं करती, जब तक कि तुम मेरे पास मौजूद न हो।"