44بَل مَتَّعنا هٰؤُلاءِ وَآباءَهُم حَتّىٰ طالَ عَلَيهِمُ العُمُرُ ۗ أَفَلا يَرَونَ أَنّا نَأتِي الأَرضَ نَنقُصُها مِن أَطرافِها ۚ أَفَهُمُ الغالِبونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीबल्कि हम ही ने उनको और उनके बुर्जुग़ों को आराम व चैन रहा यहाँ तक कि उनकी उम्रें बढ़ गई तो फिर क्या ये लोग नहीं देखते कि हम रूए ज़मीन को चारों तरफ से क़ब्ज़ा करते और उसको फतेह करते चले आते हैं तो क्या (अब भी यही लोग कुफ्फ़ारे मक्का) ग़ालिब और वर हैं