43أَم لَهُم آلِهَةٌ تَمنَعُهُم مِن دونِنا ۚ لا يَستَطيعونَ نَصرَ أَنفُسِهِم وَلا هُم مِنّا يُصحَبونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीक्या हमरो सिवा उनके कुछ और परवरदिगार हैं कि जो उनको (हमारे अज़ाब से) बचा सकते हैं (वह क्या बचाएँगे) ये लोग खुद अपनी आप तो मदद कर ही नहीं सकते और न हमारे अज़ाब से उन्हें पनाह दी जाएगी