131وَلا تَمُدَّنَّ عَينَيكَ إِلىٰ ما مَتَّعنا بِهِ أَزواجًا مِنهُم زَهرَةَ الحَياةِ الدُّنيا لِنَفتِنَهُم فيهِ ۚ وَرِزقُ رَبِّكَ خَيرٌ وَأَبقىٰफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर उसकी ओर आँख उठाकर न देखो, जो कुछ हमने उनमें से विभिन्न लोगों को उपभोग के लिए दे रखा है, ताकि हम उसके द्वारा उन्हें आज़माएँ। वह तो बस सांसारिक जीवन की शोभा है। तुम्हारे रब की रोज़ी उत्तम भी है और स्थायी भी