130فَاصبِر عَلىٰ ما يَقولونَ وَسَبِّح بِحَمدِ رَبِّكَ قَبلَ طُلوعِ الشَّمسِ وَقَبلَ غُروبِها ۖ وَمِن آناءِ اللَّيلِ فَسَبِّح وَأَطرافَ النَّهارِ لَعَلَّكَ تَرضىٰफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ